जिन्दगी- एक कहानी,
एक मूर्ख कहता चला जा रहा है,
और मैं भी एक मूर्ख, सुनता
सुन-सुन कर अच्छा भी लग रहा है
और बुरा भी, हूं खुश भी और दुखी भी
क्या अच्छा, क्या बुरा ? सब दोष है दोष दीमाग का,
गीत भी गूंज रहा है मन में एक –
आगे क्या होगा, आगे क्या होगा ?
दोस्तो विडंबना यह है –
कुछ क्षण बाद,
समाप्त हो जाएगी
जिन्दगी - एक कहानी ।
achi kavvita .bhav gambhir .
ReplyDeletelikhna jari rakhe ,aur nikhar ayega.
ReplyDeleteबहुत ही उत्कृष्ट रचना है.
ReplyDelete..............बधाई
Ati sarahneey. Badhai!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है...
ReplyDeletesahmat hun firdaus bahan se!
ReplyDeleteजिन्दगी एक कहानी नही होती इसे कहानी समझने वाले बहुत दुखी होते है। जिन्दगी सिर्फ जीने के लिए है मुस्कुराते रहे हर हाल में बस......
ReplyDeleteहम्म्म्म..... ! जीवन की क्षणभंगुरता पर लिखी गयी एक पलायनवादी मुक्त-छंद कविता !! आपके लेखन में संभावना दिख रही है, सुधार की गुंजाइश है और विचारों को तपाने की आवश्यकता है !!! स्मरण रहे, 'न दैन्यं न पलायनम्' !!!!
ReplyDeletebadhiya abhivyakti
ReplyDeletesundar rachna
har jeevan ek kahani hi hai dost.
shubh kamnayen
... सुन्दर रचना !!
ReplyDeleteअभी परिपक्वता नहीं है रचना में ....पर आपसे संभावनाएं हैं .....!!
ReplyDeleteप्रयास अच्छा है। ऊपर दिए गए अपने श्रेष्ठजनों के सुझाव पर ग़ौर फरमाएं और अमल करें। शुभकामनाएं।
ReplyDeletebahut sundar ............prayas achchha hai
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